Blood Bank Components in Hindi -पोस्ट में आपका स्वागत है इस पोस्ट में हम जानेंगे की ब्लड बैंक में डोनर के ब्लड से कौन कौनसे कम्पोनेंट्स बनाये जाते है और इन कंपोनेंट्स का क्या उपयोग होता है इससे संबंधित सारी जानकारी हमने आपको उपलब्ध करायी है
ब्लड कंपोनेंट्स क्या होते है
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Blood Bank Components in Hindi
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ब्लड बैंक कंपोनेंट्स (
Blood Bank Components) का उपयोग ब्लड बैंक में किया जाता है इसमें डोनर के ब्लड से आवश्यकता के अनुसार ब्लड के कंपोनेंट्स तैयार किये जाते है।
ब्लड बैंक कंपोनेंट्स कई प्रकार के होते है इनमें रेड ब्लड सेल (
आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं।
ब्लड बैंक में इन कंपोनेंट्स का उपयोग करके ब्लड को काफी लम्बे समय तक स्टोर करके रखा जाता है जिससे जरुरत के अनुसार मरीज को यह ब्लड चढ़ाया जाता है। अलग अलग कंपोनेंट्स का साइज और मात्रा अलग अलग होती है।
ब्लड कंपोनेंट्स कितने प्रकार के होते है?
बीमारियों और मरीज की स्थिति के अनुसार ब्लड बैंक कंपोनेंट्स कई प्रकार के होते है। इन कंपोनेंट्स को डोनर के ब्लड से ही बनाया जाता है जिसके लिए एक यूनिट ब्लड को कलेक्ट किया जाता है। ब्लड बैंक में मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के कंपोनेंट्स होते है :-
- हॉल ब्लड (Whole blood)
- पैक्ड रेड सेल या पैक्ड सेल (Packed red cell)
- प्लाज्मा (Plasma)
- प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट (platelets concentrate)
- फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (Fresh frozen plasma)
- प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (platelets rich plasma)
- क्रायोप्रेसिपिटेट (Cryoprecipitate)
1. हॉल ब्लड (Whole blood) :-
इसका मतलब ऐसा ब्लड जिसमे सभी सेल्स और कंपोनेंट्स होते होते है ये नेचुरल होता है। हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को ही हॉल ब्लड (Whole blood) कहा जाता है। इसमें आरबीसी, डब्ल्यू बी सी, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, और अन्य सभी घटक पाए जाते है।
जब शरीर में कोई चोट लग जाती है या किसी और कारण से शरीर में खून की कमी होने लगती है तो शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। सामान्य अवस्था में एक वयस्क मनुष्य के शरीर में लगभग पाँच से छे लीटर तक ब्लड पाया जाता है।
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Whole blood component
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अगर किसी भी वजह से ब्लड की इस मात्रा में कमी आती है तो इस स्थिति में हॉल ब्लड का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। इसके लिए डोनर का लगभग 450 ml ब्लड लिया जाता है जिसमे 350 ml ब्लड और लगभग 50-60 ml एंटीकोएगुलेंट (anticoagulant) होता है।
हॉल ब्लड का ट्रांसफ्यूजन करने के लगभग 24 घंटो के बाद 70% आरबीसी (RBC) मर जाती है। इसमें प्लेटलेट्स (platelets) और कोई प्लाज्मा फैक्टर एक्टिव नहीं होते है।
स्टोरेज (Storage):- हॉल ब्लड (Whole blood) को 2 से 8°C तापमान पर रेफ़्रिजरेटर में स्टोर करके रखा जाता है इसके लिए अलग अलग प्रकार के एंटीकोएगुलेंट का उपयोग किया जाता है।
सीपीडीए1 (CPDA1) एंटीकोएगुलेंट में लगभग 35 दिनों तक और सीपीडी (CPD) एंटीकोएगुलेंट में लगभग 28 दिनों तक हॉल ब्लड को स्टोर करे रखा जा सकता है।
whole blood क़े उपयोग :-
हॉल ब्लड (Whole blood) में ज्यादातर आरबीसी और प्लाज्मा होता है। इसका उपयोग बहुत ज्यादा ब्लड की कमी में, क्रोनिक एनीमिया (chronic anaemia) में, कार्डिक फेलियर , प्रेगनेंसी इत्यादि में किया जाता है। इसमे ब्लड का वॉल्यूम बढ़ जाता है।
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2. पैक्ड रेड सेल या पैक्ड सेल (Packed red cell)
इस कंपोनेन्ट में ज्यादातर रेड ब्लड सेल्स होती है क्योकि इसमें से प्लाज्मा को हटा दिया जाता है। पैक्ड रेड सेल या पैक्ड सेल (Packed red cell) कंपोनेन्ट बनाने के लिए डोनर के ब्लड को एक ट्रिपल बैग में कलेक्ट किया जता है या एक से ज्यादा बैग यूनिट में कलेक्ट किया जाता है।
आरबीसी या रेड ब्लड सेल्स हमारे ब्लड की काफी महत्वपूर्ण सेल्स होती है जिनकरे अंदर हीमोग्लोबिन पाया जाता है आरबीसी हमारे ब्लड में सबसे ज्यादा पायी जाने वाली सेल्स ही होती है। ये सेल्स हमारी बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई करने का काम करती है।
कुछ हिमोलाइटिक एनीमिया और अन्य क्रोनिक कंडीसन में जब हमारे ब्लड में आरबीसी या रेड ब्लड सेल्स की कमी होने लगती है तो पैक्ड रेड सेल या पैक्ड सेल (Packed red cell) का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है।
इसके लिए भी डोनर का लगभग 450 ml ब्लड कलेक्ट किया जाता है इसमें से 2/3 भाग प्लाज्मा को हटा दिया जाता है जिससे 250 ml से 300 ml तक पैक्ड रेड सेल मिलती है। पैक्ड रेड सेल की एक यूनिट चढ़ाने से लगभग 1.5-2 ग्राम (g/dl) तक हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
स्टोरेज (Storage):- पैक्ड रेड सेल या पैक्ड सेल को सीपीडीए (CPDA) एंटीकोएगुलेंट मे 35 दिनों तक और एस ए जी एम (SAGM) एंटीकोएगुलेंट में लगभग 42 दिनों तक 2-8 ℃ तापमान पर रेफ़्रिजरेटर में स्टोर करके रखते है।
Packed red cell के उपयोग:- पैक्ड रेड सेल में ज्यादातर आरबीसी (RBC) होती है। इसका उपयोग बहुत ज्यादा ब्लड की कमी में, क्रोनिक एनीमिया में, हेमोग्लोबिन की कमी में (10 ग्राम (g/dl) से कम होने पर ), अचानक खून की कमी होने पर (Acute blood loss) थैलेसिमिया और इत्यादि स्थिति में किया जाता है।
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Plasma and Packed red cell components |
3.प्लाज्मा (Plasma)
प्लाज्मा हमारे ब्लड का घटक ही होता है जो हमारे पूरे ब्लड का 55 से 60 प्रतिशत भाग बनाता है प्लाज्मा एक हलके पीले रंग का द्रव होता है जिसमे हमारे ब्लड की सेल्स तैरती रहती है। प्लाज्मा के ज्यादातर भाग में पानी होता है जो सभी प्रकार के जीवन के लिए बहुत ही जरुरी होता है।
प्लाज्मा से कई प्रकार के कंपोनेंट्स बनते है लेकिन कभी कभी मरीज को सिंपल प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत होती है। जब ब्लड में आरबीसी (RBC) की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो मरीज के खून को गाढ़े से नार्मल करने के लिए प्लाज्मा कॉम्पोनेन्ट का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है।
आरबीसी (RBC) की संख्या पॉलिसाइथीमिया में बढ़ जाती है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन या शरीर से तरल की कमी हो जाने की स्थिति में भी प्लाज्मा का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। प्लाज्मा (Plasma) या इसके कंपोनेंट्स को स्टोर करके रखने का समय अलग अलग होता है और इनका उपयोग भी अलग अलग कंडीशन में किया जाता है।
4. प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट (platelets concentrate):-
ये प्लाज्मा से बनने वाला एक कंपोनेन्ट होता है इसमें केवल प्लेटलेट्स पायी जाती है प्लेटलेट्स हमारी बॉडी में ब्लड क्लॉट बनाने के बहुत ही जरुरी होती है इसके साथ ही ये ब्लड में होने वाले इन्फेक्शन से भी बचाने का काम करती है।
प्लेटलेट्स की संख्या और आकार दोनों ही आरबीसी या रेड ब्लड सेल्स से बहुत कम होता है और प्लेटलेट्स में केन्द्रक भी नहीं पाया जाता है।
प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट (platelets concentrate) कंपोनेन्ट बनाने का तरीका थोड़ा अलग होता है इसके लिए सबसे पहले डोनर का 450 ml ब्लड एक ट्रिपल बैग में कलेक्ट करते हैं फिर इस ब्लड बैग को 4-6 घंटे तक 20- 22 ℃ पर जमा करके रख सकते है 6 घंटे से ज्यादा इसको नहीं रख सकते इसके बाद ब्लड बैग को रेफ्रिजरेटेड सेंट्रीफ्यूज मशीन मे रख कर 20-22 ℃ तापमान पर पहले एक बार सॉफ्ट स्पिन किया जाता है इसके बाद लगभग 4/5 भाग प्लाज्मा को एक अलग ब्लड बैग में निकाल लिया जाता है फिर इस प्लाज्मा को एक बार फिर से 20- 40 ℃ तापमान पर हार्ड स्पिन किया जाता है जिससे नीचे तल लगभग 50 ml प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट (platelets concentrate) मिल जाता है
स्टोरेज (Storage):- प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट को 20- 22 ℃ तापमान पर प्लेटलेट्स एजीटेटर (platelets Agitator) पर रखा जाता है। इसे "ए सी डी" (ACD) एंटीकोएगुलेंट में और "सीपीडी" (CPD) एंटीकोएगुलेंट में लगभग 3 से 5 दिन तक प्लेटलेट्स एजीटेटर में स्टोर किया जा सकता है।
platelets concentrate के उपयोग :- प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट (platelets concentrate) में ज्यादातर प्लेटलेट्स होती है। इसका उपयोग बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स कम होने पर किया जाता है।
प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट का ट्रांसफ्यूजन डेंगू फीवर, लिवर डिसीज, और क्लॉटिंग फैक्टर की प्रोब्लम में किया जाता है। इसके लिए क्रॉस मैचिंग की जरूरत नही पड़ती है। एक यूनिट प्लेटलेट्स कॉन्संट्रेट से लगभग 5000- 10000 platelets बढ़ जाती है।
5. फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (Fresh frozen plasma):-
ये भी प्लाज्मा से बनने वाला एक कंपोनेन्ट होता है लेकिन इसमें कोई सेल्स नहीं होती है। फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (Fresh frozen plasma) में केवल क्लॉटिंग फैक्टर्स होते है। इसको लम्बे समय तक स्टोर किया जा सकता है। फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा बनाने के लिए सबसे पहले डोनर का 450 ml ब्लड एक ट्रिपल बैग में कलेक्ट करते है फिर इस ब्लड बैग को 4 ℃ पर स्टोर करके रखा जाता है पर इसे 6-8 घंटो से ज्यादा नही रख सकते। इसके बाद ब्लड बैग को रेफ्रिजरेटेड सेंट्रीफ्यूज मशीन मे 5000 RPM पर 5 ℃ तापमान पर 5-7 मिनिट सेंट्रीफ्यूज करते हैं इसके बाद लगभग 4/5 भाग प्लाज्मा एक दूसरे ब्लड बैग में अलग कर लेते है इसके बाद इस प्लाज्मा को 6 से 8 घंटो के अंदर मतलब इससे पहले ही -70 ℃ पर 1 घंटे फ्रीज कर लेते है इस तरह फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा बन कर तैयार हो जाता है इसको एफ एफ पी (FFP)भी कहते है।
स्टोरेज (Storage):- इसे -30 ℃ पर 1 साल तक स्टोर किया जा सकता है। पेशेंट को देने से पहले या ट्रांसफ्यूजन करने से पहले इसे 37℃ पर रखा जाता है, जिससे ये सामान्य अवस्था में आ जाता है।
Fresh Frozen Plasma के उपयोग :- फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (Fresh frozen plasma) का उपयोग मल्टीपल कोएगुलेशन फैक्टर डेफीसिएन्सी में किया जाता है,पर इसमें प्लेटलेट्स नही होती है।
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Platelets, FFP and Cryoprecipitate components |
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6. प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (platelets rich plasma):-
ये भी प्लाज्मा से बनाये जाने वाला ब्लड कंपोनेन्ट होता है इसको बनाते समय भी बनाया जा सकता है इसको बनाने की प्रोसेस के जैसी ही होती है। प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा बनाने के लिए सबसे पहले एक ट्रिपल बैग में सीपीडीए (CPDA) एंटीकोएगुलेंट या एस ए जी एम (SAGM) एंटीकोएगुलेंट में डोनर का लगभग 450 ml ब्लड को कलेक्ट करते है।
इस ब्लड बैग को 20 - 22℃ तापमान पर रख देते है पर 6 घंटे से ज्यादा नही रख सकते।इसके बाद इस ब्लड बैग को रेफ्रिजरेटेड सेंट्रीफ्यूज मशीन मे 20-22℃ तापमान पर 2000 RPM पर 5 मिनिट तक स्पिन करते है और इसके बाद लगभग 4/5 भाग प्लाज्मा एक अलग ब्लड बैग में अलग कर लेते है।
इसको प्लेटलेट्स एजीटेटर में रखा 3-5 दिन तक स्टोर किया जा सकता है। इसी 4/5 भाग प्लाज्मा को एक अलग ब्लड बैग में लेकर 5000 RPM पर 20- 40 ℃ तापमान पर 7-10 मिनिट सेंट्रीफ्यूज करके ऊपर के भाग को अलग कर लेते है और नीचे तल वाले भाग में लगभग 30 से 50 ml प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (platelets rich plasma) बनता है।इसको "पी आर पी" (PRP) भी कहा जाता है।
स्टोरेज (Storage):- को रेफ्रिजरेटर में 0-8℃ तापमान पर 8 से 10 दिन तक स्टोर करके रख सकते है इसके साथ ही इसको -80 ℃ तापमान पर लगभग एक महीने तक स्टोर करके रख सकते है।
प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा के उपयोग :- इसका उपयोग ब्लीडिंग टिश्यू डैमेज इन्फेक्शन कॉस्मेटिक सर्जरी इत्यादि में किया जाता है।
7. क्रायोप्रेसिपिटेट (Cryoprecipitate):-
इस कंपोनेंट्स में प्लाज्मा फैक्टर्स पाए जाते है जो की प्लाज्मा से ही बनाया जाता है क्रायोप्रेसिपिटेट (Cryoprecipitate) बनाने के लिए 4℃ तापमान पर हॉल ब्लड (Whole
blood) को स्पिन करते है। यह ब्लड का ही एक भाग होता है जिसमे सिर्फ प्लाज्मा फैक्टर्स ही पाए जाते है।
यह कंपोनेंट्स मरीज को क्लॉटिंग फैक्टर्स की कमी (clotting factor deficiency) में दिया जाता है। इसमें फाइब्रिनोजन फैक्टर 8, 13 और वॉन विलिब्रैंड फैक्टर (von wilibrand factor) होते है।
एक क्रायोप्रेसिपिटेट का वॉल्यूम 10 से 15 ml के लगभग होता है इसको -18℃ तापमान पर स्टोर करके 1 साल तक रख सकते है।
ब्लड क्या होता है (What is blood)
Blood एक तरल संयोजी ऊतक होता है जो पूरे शरीर में वाहिकाओं के द्वारा बहता है इसका मुख्य कामऑक्सीजन को फेफड़ो से लेकर शरीर के सभी ऑर्गन (organ) और टिश्यू तक पहुंचना और उनसे कार्बोनडाईऑक्साइड को लेकर फेफड़ो तक वापस पंहुचना है। इसके अलावा ये सभी पोषक पदार्थो का भी आवागमन करता है इसका रंग लाल होता है। ये थोड़ा चिपचिपा गाड़ा होता है इसका पी एच (P.H.) 7.4 के लगभग होता है इसका लाल रंग हीमोग्लोबिन की वजह से होता है इसकी कमी से एनीमिया नामक बीमारी होती है।
Blood Bank Components in Hindi पोस्ट का सारांश
Blood Bank Components in Hindi- पोस्ट में हमने ब्लड बैंक के कंपोनेंट्स से सम्बंधित सारी जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश की है इस पोस्ट में हमने जाना की ब्लड कंपोनेंट्स क्या होते है, ब्लड कंपोनेंट्स कितने प्रकार के होते है?, ब्लड क्या होता है (What is blood), इत्यादि।
आशा करता हु आपको पोस्ट पसंद आयी होगी अगर इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सुझाव या प्रश्न है तो कमेंट करके जरूर बताएं धन्यवाद।
ब्लड बैग में क्या होता है?
ब्लड बैग में एक प्रकार का केमिकल होता है जिसे एंटीकोएगुलेंट कहते है। ये एंटीकोएगुलेंट कई प्रकार के होते है जिनको जरुरत के अनुसार उपयोग किया जाता है। ब्लड बैग में पाए जाने वाले इन एंटीकोएगुलेंट के नाम कुछ इस प्रकार से है ए सी डी" (ACD) एंटीकोएगुलेंट, "सीपीडी" (CPD) एंटीकोएगुलेंट, सीपीडीए (CPDA) एंटीकोएगुलेंट, एस ए जी एम (SAGM) एंटीकोएगुलेंट इत्यादि।
एक यूनिट में कितना ब्लड होता है?
आमतौर से एक यूनिट लगभग 450 ML की होती है जिसमे से 350 ML ब्लड और लगभग 49 से 63ML एंटीकोएगुलेंट होता है। ब्लड कंपोनेंट्स कई प्रकार के होते है इसलिए इनमे ब्लड की मात्रा काम या ज्यादा भी हो सकती है।
तीन प्रकार के रक्त बैग कौन से हैं?
ब्लड बैग कई प्रकार के होते है, लेकिन ब्लड बैग मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है- हॉल ब्लड, पैक्ड सेल या पैक्ड रेड सेल और प्लेटलेट्स कंसन्ट्रेट। इन ब्लड बैग में जरुरत के अनुसार बदलाब करके और कई प्रकार के ब्लड बैग तैयार किये जाते है।
एक आदमी कितना ब्लड डोनेट कर सकता है?
एक सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति एक बार में लगभग 300 से 500ml ब्लड डोनेट कर सकता है और एक बार ब्लड डोनेट करने के लगभग तीन महीने के बाद ही दुबारा ब्लड डोनेट किया जा सकता है। अगर इससे ज्यादा ब्लड डोनेट किया जाता है तो स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
ब्लड बैंक को हिंदी में क्या कहते हैं?
ब्लड बैंक को हिंदी में रक्तकोष या रक्त बैंक कहते है। ब्लड बैंक में सभी प्रकार के ब्लड की व्यवस्था होती है जो जरुरत पड़ने पर सभी के काम आते है।
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Thenku sir helpful nots he sir thenku veri much sir
जवाब देंहटाएंSir mujhe notes chahiye DMLT ke aap se sakte ho kya
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