culture media in microbiology in hindi पोस्ट में हम जानेंगे की कल्चर मीडिया क्या होता है और कितने प्रकार होता है इसके साथ ही हम इसके उपयोग के बारे में भी जानेंगे। यहाँ हमने सारी जानकारी को बहुत सरल भाषा में समझाया है। चलिए जानते है कल्चर मीडिया के बारे में।
कल्चर मीडिया क्या होता है?
कल्चर मीडिया एक ऐसा मीडिया होता है जिसमे बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों को सभी जरुरी पोषण देकर आर्टिफिशियल तरीके से ग्रोथ कराई जाती है। जिससे बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीव इस पोषण का उपयोग करके अपनी संख्या बढ़ाता है। बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने पर उसको आसानी से पहचाना जा सकता है। बैक्टीरिया की पहचान करके यह पता लगाया जाता है की उस बैक्टीरिया पर कौनसी एंटीबायोटिक काम करेगी। इस प्रकार से कल्चर मीडिया का उपयोग करके बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों से होने वाली बीमारियों को ठीक किया जाता है। इसके अलावा कल्चर मीडिया का उपयोग बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में और रिसर्च के लिए भी किया जाता है।culture media |
इन पदार्थों की मदद से बैक्टरिया या अन्य सूक्ष्मजीवो की अच्छे से ग्रोथ हो जाती है। इसके बाद इसकी एंटीबायोटिक सेंसेविटी (AST) लगाकर हम एंटीबायोटिक का पता करते है। और फिर वही एंटीबायोटिक को मरीज को देकर उसे ठीक किया जाता है।
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माइक्रोबियल कल्चर मीडिया क्या है?
माइक्रोबियल का मतलब सूक्ष्मजीव होता है सूक्ष्मजीवो में बैक्टीरिया ,वायरस,फंगस, माइकोप्लाज्मा आदि जीव आते है। इन्हे माइक्रोबियल कल्चर मीडिया में ग्रोथ करवाया जाता है। इस प्रकार के कल्चर मीडिया में सूक्ष्मजीवों के जरूरत के अनुसार पोषक पदार्थो का उपयोग किया जाता है।लेकिन सभी सूक्ष्मजीवो को माइक्रोबियल कल्चर मीडिया में ग्रोथ नही किया जा सकता है, जैसे वायरस को माइक्रोबियल कल्चर मीडिया में ग्रोथ नही किया जा सकता है। वायरस को जीवित कोशिका (living cells) में ग्रोथ करायी जाती है ,जिसे सेल कल्चर कहते है।
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माइक्रोबायोलॉजी में मीडिया और उसके प्रकार क्या है?
कलचर मीडिया में बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों को ग्रोथ करवाया जाता है। कल्चर मीडिया को बहुत से पोषक तत्वों से मिलाकर बनाया जाता है, कल्चर मीडिया कई प्रकार का होता है।
अलग-अलग जीवो के लिए अलग-अलग कल्चर मीडिया की आवश्कता होती है और जीवो की जरूरत के हिसाब से मीडिया में पोषक तत्वों को मिलाया जाता है। बैक्टेरिया या सूक्ष्मजीव कई प्रकार के होते है। इसलिए मीडिया भी कई प्रकार के होते है ।
कल्चर मीडिया का इस प्रकार से वर्गीकरण किया गया है:-
- कंसिस्टेंसी के आधार पर
- न्यूट्रीशन के आधार पर
- ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट के आधार पर
- केमिकल कंपोजिशन के आधार पर
- विशेष उपयोग के आधार पर
1. कंसिस्टेंसी के आधार पर (Based on consistency)
कल्चर मिडिया का कंसिस्टेंसी के आधार पर 3 वर्गों में वर्गीकरण किया गया है।
- Solid culture media
- Semi-solid culture media
- Liquid culture media
अ). सॉलिड कल्चर मीडिया (Solid culture media):
सॉलिड कल्चर मीडिया मे लिक्विड ब्रॉथ(Liquid broth) और अगार (Agar) होता है। इसमें अगार (Agar) की मात्रा 1.5 से 2% तक होती है । सॉलिड (ठोस) कल्चर मीडिया बनाने के लिए ज्यादतर 1.3% अगार(Agar) का उपयोग किया जाता है,जिससे ये तरल की जगह ठोस अवस्था में रहता है।
इस प्रकार के मीडिया में बहुत से बैक्टीरिया(Bacteria) या अन्य सूक्ष्मजीव ग्रोथ(Growth) कर सकते है। ज्यादातर कल्चर मीडिया इस तरह के ही होते है। इस तरह के कल्चर मीडिया से बैक्टीरिया या सूक्षमजीवो की पहचान करना और उनको अलग करके अध्ययन (study) करना बहुत आसान हो जाता है।
उपयोग :- इसका उपयोग बैक्टीरिया की फिजिकल ग्रोथ (Physical growth) , आइसोलेशन(Isolation), सेंसेविटी(Sensitivity) आदि के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ब्लड अगार (Blood Agar), चॉकलेट अगार (Chocolate Agar), मेकोंकी मीडिया (Macconkey media), आदि।
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ब). सेमी सॉलिड कल्चर मीडिया (Semi-solid culture media) :
सेमी सॉलिड कल्चर मीडिया में लिक्विड ब्रॉथ(Liquid broth) और 0.2 से 0.5 % अगर (Agar) की मात्रा मिलाई जाती है इस मीडिया में अगार(Agar-Agar) की मात्रा कम होने के कारण ये सॉफ्ट जेली (jelly) जैसा होता है। इसमें भी बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ कराई जाती है।
उपयोग :- इसका उपयोग ज्यादातर बैक्टीरिया की मोटिलिटी (Motility) देखने के लिए और माइक्रोएरोफिलिक बैक्टीरिया (Micro-aerophilic Bacteria) की ग्रोथ के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- मेनिटोल मोटिलिटी मीडिया (Mannitol motility media), एमिश ट्रांसपोर्ट मीडिया (Amies Transport media), स्टुअर्ट ट्रांसपोर्ट मीडिया (Stuart's Transport media) आदि।
स). लिक्विड कल्चर मीडिया (Liquid culture media) :-
इसमें कोई भी जमने वाला एजेंट (Solidifying agent) नही होता है। इसे ब्रोथ (broth) भी बोलते है क्योंकि ये तरल अवस्था में होता है। इसमें बैक्टीरिया कॉलोनी की अच्छी ग्रोथ दिखती है। और बैक्टेरिया को multiply करके बैक्टीरिया की संख्या को भी बड़ा लिया जाता है।
इस मीडिया से बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों की पहचान करने में सहायता मिलती है।
उपयोग :- इसका यूज बैक्टीरिया की मोटिलिटी देखने, एंजाइम प्रोडक्शन देखने और ग्रॉथ टॉक्सिन देखने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ट्रिप्टिक सोय ब्रोथ (Tryptic soy broth), फिनॉल रेड कार्बोहाइड्रेट ब्रोथ (Phenol red carbohydrate broth), एम् आर-वी पी ब्रोथ (MR-VP broth), नुट्रिएंट ब्रोथ (Nutrient broth) ।
2. न्यूट्रीशन के आधार पर (Based on Nutrition)
इसमें उपयोग न्यूट्रीशन (Nutrition) के आधार पर कल्चर मीडिया का तीन भागो में वर्गीकरण किया है:-
- सिंपल कल्चर मीडिया (Simple culture media)
- कॉम्प्लेक्स कल्चर मीडिया (Complex culture media)
- सिंथेटिक कल्चर मीडिया (Synthetic culture media)
A. सिंपल कल्चर मीडिया (Simple culture media):-
इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते है जो नॉन फास्टीडिअस बैक्टेरिया (Non- Fastidious bacteria) की ग्रोथ के लिए जरूरी होती है। नॉन फास्टीडिअस बैक्टेरिया का मतलब ऐसे बैक्टीरिया होते है जिनको ग्रोथ करने के लिए सामान्य पोषक पदार्थो की जरुरत होती है, इनको ग्रोथ के लिए कोई अतिरिक्त या ज्यादा पोषक पदार्थो की आवश्यकता नहीं होती है।
सभी पोषक तत्वों को बैक्टीरिया अच्छे से उपयोग में लाकर अपनी संख्या को बड़ा लेता है जिससे बैक्टीरिया की कॉलोनी को आंखो से देखकर भी पहचान लिया जाता है और कौनसा बैक्टीरिया है इसका पता आसानी से चल जाता है।
उपयोग :- इस प्रकार के कल्चर मीडिया का उपयोग नॉन फास्टीडिअस बैक्टेरिया की ग्रोथ कराने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ग्लूकोज ब्रोथ (Glucose broth), नुट्रिएंट ब्रोथ (Nutrient broth), पेप्टोन वॉटर (Peptone water) ।
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B. कॉम्प्लेक्स कल्चर मीडिया (Complex culture media):-
इस प्रकार के कल्चर मीडिया को सिम्पल कल्चर मीडिया से ही बनाया जाता है ,जब सिंपल मीडिया में और भी ज्यादा पोषक तत्व मिला दिए जाते है जिससे की किसी एक स्पेशल बैक्टीरिया को ग्रोथ कराई जा सके तब इसे कॉम्प्लेक्स मीडिया बोलते है।
इसका उपयोग फास्टीडिअस बैक्टीरिया (Fastidious bacteria) के लिए करते है।फास्टीडिअस बैक्टेरिया (Fastidious bacteria) ऐसे बैक्टीरिया होते है जिनको ग्रोथ करने के लिए सामान्य से भी ज्यादा पोषक पदार्थो की आवश्यकता होती है।
इनको ग्रोथ करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के सेब्सटेंस की जरूरत होती है।इस मीडिया को बैक्टीरिया के अनुसार मॉडिफाई करके बनाया जाता है जिससे बो बैक्टीरिया इसमें आसानी से ग्रोथ कर लेता है।
उपयोग :- इस कल्चर मीडिया का उपयोग किसी एक विशेष बैक्टीरिया की ग्रोथ या पहचान करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ब्लड अगार (Blood Agar), चॉकलेट अगार (Chocolate Agar), मेकोंकी अगार (Macconkey Agar), ट्रिप्टिक सोय अगार (Tryptic soy Agar) ।
C. सिंथेटिक कल्चर मीडिया (Synthetic culture media):-
इस प्रकार के कल्चर मीडिया को बनाने में शुध्द केमिकल (Pure chemicals) का उपयोग किया जाता है, जैसे-ग्लुकोज ग्लिसरॉल अमोनियम सॉल्ट इत्यादि। ये शुध्द केमिकल एक निश्चित मात्रा में उपयोग किया जाते है। केमिकल की मात्रा कम या ज्यादा नही होनी चाहिए इसका भी उपयोग बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिए किया जा सकता है।
उपयोग :- इस प्रकार के कल्चर मीडिया का उपयोग साइंटिफिक रिसर्च में किया जाता है।
उदाहरण:- सी ज़े पैक डोक्स मीडिया (C-Zapek media), डेविस एंड मिंगिओली मीडिया (Davis and Mingioli Media) ।
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3. ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट के आधार पर (Based on Oxygen Requirement)
इस कल्चर मीडिया में बैक्टीरिया को ग्रोथ के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है या नही इस आधार पर इसे दो भागो में विभाजित किया है :-
- एरोबिक कल्चर मीडिया (Aerobic culture media)
- एनारोबिक कल्चर मीडिया (Anaerobic culture media)
A. एरोबिक कल्चर मीडिया (Aerobic culture media)
एरोबिक का मतलब ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है इसलिए इस कल्चर मीडिया में वो ही बैक्टीरिया ग्रोथ करते है जिनको ग्रोथ करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस प्रकार के बैक्टीरिया को एरोबिक बैक्टीरिया (Aerobic bacteria) कहते है।
इन्हे जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। कुछ बैक्टीरिया ऐसे होते है जो ऑक्सीजन जी उपस्थिति में जीवित नहीं रह सकते या ग्रोथ नहीं कर सकते इस प्रकार के बैक्टीरिया को एनारोबिक बैक्टीरिया (Anaerobic bacteria) कहा जाता है
उदाहरण: पेप्टोन वॉटर (Peptone Water), न्यूट्रिंट अगार (Nutrient Agar)।
B. एनारोबिक कल्चर मीडिया (Anaerobic culture media)
एनारोबिक का मीडिया का मतलब ऐसा मीडिया जिसमे ऑक्सीजन की अनुपस्थित होती है या ऑक्सीजन की कमी होती है। इस कल्चर मीडिया में वही बैक्टीरिया ग्रोथ करते है जिनको ऑक्सीजन की जरूरत नही होती है। जो ऑक्सीजन की कम मात्रा या फिर आक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्रोथ करते है।
एनारोबिक मीडिया को बनाने के लिए इस मीडिया से ऑक्सीजन को पूरी तरह से हटाया जाता है। मीडिया में से ऑक्सीजन कई प्रकार से हटाई जाती है सामान्यतः मीडिया से ऑक्सीजन को हटाने के लिए इसे वॉटरबाथ में गर्म करके इसे पैराफिन वैक्स (paraffin wax) से कवर कर देते है।जिससे की ये मीडिया एनारोबिक बन जाता है।
इसके अलावा कल्चर मीडिया में कई केमिकल या अन्य तत्वों को मिलकर भी ऑक्सीजन को हटाया जाता है और एरोबिक मीडिया को एनारोबिक मीडिया में बदला जाता है।
उपयोग :- एनारोबिक बैक्टेरिया को ग्रोथ करने के लिए।इस मीडिया का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण: रॉबर्ट्सन कुक्ड मीट मीडिया (Robertson cooked meat (RCM), विल्स एंड हॉब्स मीडिया (Willis and Hobbs' media), थायोग्लाइकोनेट ब्रोथ (Thioglycollate broth)।
4. केमिकल कंपोजिशन के आधार पर (Based on chemical composition)
इसमें मीडिया में उपयोग में लाए जाने वाले केमिकल और उन केमिकल के उपयोग के आधार पर वर्गीकरण किया गया है।
- Basic/ Basal culture media
- Enriched culture media
- Selective culture media
- Enrichment culture media
- Indicator / differential culture media
- Transport culture media
- Storage culture media
Basic/ Basal culture media -
ये सिंपल मीडिया होते है ,जिनमे कार्बन और नाइट्रोजन युक्त तत्व होते है इससे बैक्टीरिया की ग्रोथ होती है। इसमें एक्स्ट्रा न्यूट्रीशन की जरूरत नहीं होती है और ये नॉन फास्टीडिअस बैक्टेरिया (Non- Fastidious bacteria) की ग्रोथ के लिए उपयोग किये जाते है। इस प्रकार के मीडिया में सामान्य मात्रा में पोषक पदार्थ होते है।
उपयोग - इसका उपयोग बैक्टिरियल ग्रोथ के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- नुट्रिएंट अगार (Nutrient agar), पेप्टोन वॉटर (Peptone water), नुट्रिएंट ब्रोथ (Nutrient broth) ।
एनरीच्ड कल्चर मीडिया (Enriched culture media)
इस प्रकार के मीडिया सिंपल मीडिया या बेसिक मीडिया से ही बनाये जाते है एनरीच्ड कल्चर मीडिया बनाने के लिए सिंपल मीडिया में कुछ स्पेशल सब्स्टेंस जैसे ब्लड, सीरम, अंडे की जर्दी आदि मिलाए जाते है। जो की कुछ स्पेशल बैक्टीरिया के लिए जरूरी होते है।
उपयोग - ये फास्टीडिअस बैक्टेरिया ( Fastidious bacteria) बैक्टेरिया के लिए उपयोग किए जाते है। जिनको एक्स्ट्रा न्यूट्रीशन की आवश्कता होती है।
उदाहरण:- लोफलर सीरम स्लोप (Loeffler's serum slope), ब्लड अगार (Blood Agar), चॉकलेट अगार (Chocolate Agar) ।
सिलेक्टिव कल्चर मीडिया (Selective culture media)
ये ऐसा कल्चर मीडिया होता है जो एक स्पेशल प्रकार के बैक्टेरिया को ग्रोथ करता है और दूसरे बैक्टेरिया की ग्रोथ को रोक देता है। इसके लिए इस मीडिया में कुछ ऐसे सब्सटेंस मिलाये जाते है जो किसी एक बैक्टीरिया विशेष को छोड़कर अन्य सभी बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ को रोक देते है।
ऐसे मीडिया में सिलेक्टेड बैक्टीरिया की ग्रोथ कराने और अन्य दूसरे बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ को रोकने के लिए कई प्रकार के सब्स्टेंस मिलाये जाते है, जैसेकि एंटीबायोटिक, डाई, बाइल सॉल्ट आदि।
उपयोग - ये एक अगार (Agar) वाला मीडिया होता है जो बैक्टीरिया को ग्रोथ करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग करके बैक्टीरिया का आइसोलेशन किया जाता है।
उदाहरण:- इओसिन मिथाइलिन ब्लू मीडिया (Eosin methylene blue media), यीस्ट एक्सट्रेक्ट अगार (Yeast extract agar), मेकोंकी अगार (Macconkey Agar)।
एनरिचमेंट कल्चर मीडिया (Enrichment culture media)
ये एक टाइप का लिक्विड कल्चर मीडिया होता है। इसका उपयोग एक ब्रोथ मीडिया की तरह किया जाता है। इसका उपयोग बैक्टीरिया की ग्रोथ और उनकी सांद्रता (concentration) बड़ाने के लिए किया जाता है।
अगर किसी बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीव को सॉलिड मीडिया में कल्चर करना है और उस बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव की मात्रा बहुत ही काम है तो उसे पहले में कल्चर किया जाता है ताकि उसकी मात्रा बढ़ सके।
उपयोग- इसका उपयोग faecal और soil वाले बैक्टेरिया को ग्रोथ के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- सेलेनाइट एफ ब्रोथ (Selenite-F broth), टेट्राथायोनेट ब्रोथ (Tetrathionate broth), एल्केलाइन पेप्टोन वॉटर (Alkaline peptone water)।
इंडिकेटर या डिफरेंशियल कल्चर मीडिया (Indicator / differential culture media)
इस कल्चर मीडिया में कुछ इंडिकेटर का उपयोग किया जाता हैं जैसे डाई मेटाबोलिक सब्स्टेंस आदि। इन इंडिकेटर का उपयोग जब कोई बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव करते है तो कलर उत्पन्न होते है इस प्रकार किसी भी बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव की पहचान करना बहुत ही आसान हो जाता है इसीलिए इसे इंडिकेटर या डिफरेंशियल कल्चर मीडिया कहते है।
इस प्रकार के मीडिया में बैक्टीरिया की अलग अलग कलर की कॉलोनी बनती है,इसमें कई अलग अलग बैक्टीरिया ग्रोथ कर सकते है जिनको हम कलर से डिफ्रेंसियेट कर सकते है।
उपयोग- इसका उपयोग अलग अलग बैक्टीरिया को differentiate करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ब्लड अगार (Blood Agar), मेकोंकी अगार (Macconkey Agar), मेंनिटोल सॉल्ट अगार(Mannitol salt agar)।
ट्रांसपोर्ट कल्चर मीडिया (Transport culture media)
इस प्रकार के मीडिया का उपयोग किसी बैक्टीरियल सेम्पल या कल्चर सेम्पल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए किया जाता है। इस मीडिया में कार्बोहाइड्रेड,पेप्टोन और बफर जैसे कई और भी पोषक पदार्थ मिले होते है। जो परिवहन के समय बैक्टीरिया को मरने नहीं देते और अन्य कई दूसरे बैक्टीरिया की ग्रोथ नहीं होने देते है।
इस मीडिया में सैंपल उसकी मूल अवस्था में ही एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है। ये मीडिया सेमी-सॉलिड होता है।
उपयोग :- ये मीडिया सैंपल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने और बैक्टेरिया की अतिवृद्धि को रोकने में उपयोग किया जाता है।
उदाहरण:- केरी ब्लेयर ट्रांसपोर्ट मीडिया (Cary-Blair transport media ), पिकेस ट्रांसपोर्ट मीडिया (Pike's transport media) स्टुअर्ट ट्रांसपोर्ट मीडिया (Stuart transport media), एमिस ट्रांसपोर्ट मीडिया (amies transport media)।
स्टोरेज कल्चर मीडिया (Storage culture media)
इस मीडिया का उपयोग बैक्टीरिया को लम्बे समय तक प्रिजर्व करके रखने में किया जाता है। इसमें बैक्टीरिया को रिसर्च करने के लिए स्टोर किए जाते है।
उदाहरण:- चाक कुक्ड मीट ब्रोथ (Chalk cooked meat broth),एग सेलाइन मीडिया (Egg-Saline media)।
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5.विशेष उपयोग के आधार पर ( Based on special purpose)
इसमें कल्चर मीडिया को उनके विशेष उपयोग के आधार पर लगभग चार भागो में वर्गीकृत किया गया है :-
- ऐसे कल्चर मीडिया (Assay culture media)
- मिनिमल कल्चर मीडिया (Minimal culture media)
- फरमेंटेसन कल्चर मीडिया (Fermentation culture media)
- रिसक्सीटेशन कल्चर मीडिया (Resuscitation culture media)
ऐसे कल्चर मीडिया (Assay culture media)
इस टाइप के मीडिया का उपयोग कई जांचो या परीक्षणों के लिए किया जाता है इसमें एमिनो एसिड विटामिन और कई एंटीबायोटिक्स की जाँच या परीक्षण किया जाता है। जब कोई भी बैक्टीरिया कल्चर मीडिया में ग्रोथ कर लेता है तो उसके बाद उस बैक्टीरिया के लिए एंटीबायोटिक सेंस्टिविटी टेस्ट (AST) लगाया जाता है। इस टेस्ट के लिए ऐसे कल्चर मीडिया का ही उपयोग किया जाता है।
उपयोग :- इस मीडिया का उपयोग अलग अलग जाँचो और परीक्षणों के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- मूलर हिन्टोन अगार (Mueller-Hinton agar )।
मिनिमल कल्चर मीडिया (Minimal culture media)
ये ऐसा मीडिया होता है जिसमे बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीवों अनुसार ही सब्स्टेंस का उपयोग किया जाता है। इसमें कार्बन एनर्जी के स्त्रोत के रूप में उपयोग होता है। मैग्नीशियम और अमोनियम सॉल्ट का उपयोग आयन के रूप में और फॉस्फेट एक बफरिंग एजेंट का काम करता है।
उपयोग :- इस मीडिया का उपयोग म्युटेशन सेल्स और वाइल्ड टाइप के सूक्ष्मजीवों के लिए किया जाता है।
फरमेंटेसन कल्चर मीडिया (Fermentation culture media)
ये मीडिया किसी विशेष बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव के लिए उपयोग होता है जिसमे उस बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव को आवश्यक पोषक पदार्थ और एनर्जी मिलती है। इस मीडिया में कार्बन, नाइट्रोजन मेजर कंपोनेन्ट के रूप में और इनऑर्गेनिक सॉल्ट, ग्रोथ फैक्टर्स , विटामिन्स, बफर, इनहिबिटर इत्यादि माइनर कंपोनेंट्स के रूप में उपयोग किये जाते है।
उपयोग :- इस मीडिया का उपयोग सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ और फरमेंटेशन के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- यीस्ट एक्सट्रेक्ट मीडिया (Yeast extract media), बीफ एक्सट्रेक्ट मीडिया (Beef extract media)।
रिसक्सीटेशन कल्चर मीडिया (Resuscitation culture media)
ये एक एक स्पेशल कल्चर मीडिया होता है जो बैक्टीरिया की रिकवरी के लिए उपयोग होता है।जब कोई बैक्टीरिया किसी भी वजह से डैमेज हो जाता है या अपनी प्रोडक्शन क्षमता खो देता है तो ऐसे बैक्टीरिया को वापस से ठीक करने के लिए इस मीडिया का उपयोग किया जाता है।
इस मीडिया बैक्टीरिया के अनुसार वही पोषक पदार्थ या आवश्यक तत्वों को मिलाया जाता है जिनकी बैक्टीरिया या सूक्षमजीव को जरुरत होती है।
उपयोग:- इस कल्चर मीडिया का उपयोग डैमेज बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने के लिए और उनको ठीक करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:- ट्रिप्टिक सोया अगार (Tryptic soy agar) ।
culture media in microbiology in hindi पोस्ट का सारांश
culture media in microbiology in hindi पोस्ट में हमने कल्चर मीडिया के बारे में बहुत ही आसान भाषा में समझाया है और सभी जरुरी बिंदु इसमें शामिल किये गए है। अगर आपको इस पोस्ट से सम्बंदित कोई प्रश्न या सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताये। आशा करता हु आपको पोस्ट पसंद आयी होगी।
समय देने के लिए धन्यवाद।
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