ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है - blood culture test in hindi

 blood culture test in hindi  पोस्ट में आपका स्वागत है आज इस पोस्ट के जरिये हम जानेंगे की ब्लड कल्चर क्या होता है। इसको लैब में किस प्रकार से लगाया जाता है और इसके रिजल्ट को कैसे देखते है साथ ही जानेंगे की ब्लड कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे देखते है। इसके बारे में सारी जानकारी इस पोस्ट में उपलब्ध करायी गयी है चलिए शुरू करते है। 

कल्चर टेस्ट क्या होता है (What is Culture test)

कल्चर टेस्ट एक काफी महत्वपूर्ण टेस्ट होता है जिसके द्वारा हमारे शरीर में होने वाले लगभग सभी प्रकार के इन्फेक्शन का पता आसानी से लगाया जा सकता है। कल्चर टेस्ट के द्वारा सूक्ष्मजीवों की आवश्यक मात्रा में वृद्धि करायी जाती है जिससे उस सूक्ष्मजीव को आसानी से पहचान कर उसका इलाज़ किया जा सकता है। 

इसके लिए कई अलग अलग प्रकार के कल्चर मीडिया का उपयोग किया जाता है। कल्चर मीडिया में सूक्ष्मजीवों के अनुसार पोषक पदार्थ रहते है, इन पोषक पदार्थो का उपयोग सूक्ष्मजीव अपनी वृद्धि के लिए करते है। कल्चर मीडिया कई प्रकार के होते है। 

कल्चर टेस्ट के द्वारा शरीर के लगभग किसी भी भाग में इन्फेक्शन का पता लगाया जा सकता है और इसके साथ ही इससे यह भी पता लगाया जा सकता है की उस इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए कौनसी एंटीबायोटिक का उपयोग करना सही होगा।


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ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है (what is blood culture test)

blood culture test in hindi
what is blood culture test 

ब्लड कल्चर टेस्ट  एक ऐसा टेस्ट होता है जिसके द्वारा हमारे ब्लड में इन्फेक्शन का पता लगाया जाता है जिससे की इन्फेक्शन का समय पर और सही इलाज किया जा सके। ब्लड में कई प्रकार के सूक्ष्मजीवों का इन्फेक्शन हो सकता है जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, माइकोप्लाज्मा इत्यादि। 

इन सभी सूक्ष्मजीवों के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट किया जाता है लेकिन वायरस का ब्लड कल्चर टेस्ट नहीं किया जा सकता है। वायरस केवल जीवित कोशिकाओं में ही वृद्धि करता है इसलिए वायरस के लिए सेल कल्चर टेस्ट किया जाता है। ब्लड कल्चर टेस्ट के लिए ब्लड का सैंपल लिया जाता है जिसे एक कल्चर मीडिया में डाला जाता है और कुछ समय के लिए इस कल्चर मीडिया उचित तापमान पर रखा जाता है।

 कुछ समय के बाद इस कल्चर मीडिया में ब्लड के सूक्ष्मजीव अपनी संख्या में वृद्धि कर लेते है। वृद्धि करने बाद सूक्ष्मजीवों को अलग कर लिया जाता है और उनका अध्ययन करके पहचान की जाती है। इसके बाद सेंस्टिविटी टेस्ट लगाया जाता है। 

ब्लड कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है? (Why is blood culture test done?)

जब हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होता है तो हमारा शरीर इस इन्फेक्शन से प्रतिक्रिया करता है और बुखार आने लगता है। 

शरीर में इन्फेक्शन, बुखार जैसी स्थिति में ब्लड में भी इन्फेक्शन हो जाता है इस तरह से इन्फेक्शन फैलाने वाले सूक्ष्मजीव हमारे ब्लड में भी पहुँच जाते है। इन सूक्ष्मजीवों का पता लगाने के लिए और इनकी पहचान करने लिए ही ब्लड कल्चर टेस्ट किया जाता है। 

ब्लड कल्चर टेस्ट के द्वारा हम ब्लड में विभिन्न प्रकार के पैथोजेनिक बैक्टीरिया, फंगस, माइकोप्लाज्मा इत्यादि का पता आसानी से लगाया जा सकता है जिससे इनका इलाज करने के में बहुत सुविधा होती है। 


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ब्लड कल्चर टेस्ट कैसे लगाया जाता है-प्रक्रिया (Procedure of blood culture test)

ब्लड कल्चर टेस्ट करने के लिए सबसे पहले मरीज का एक ब्लड सैंपल लिया जाता है सैंपल लेते समय इस बात का ध्यान रखना जरुरी होता है की सैंपल में किसी भी प्रकार का कंटामिनेशन(contamination) नहीं होना चाहिए।

मरीज के इस ब्लड सैंपल को सावधानी से ब्लड कल्चर की बॉटल में ले लिया जाता है इस ब्लड कल्चर की बॉटल कुछ मात्रा में एंटीकोएगुलेंट और ग्रोथ मीडियम होता है। कल्चर बॉटल का एंटीकोएगुलेंट ब्लड को जमने से रोकता है और बॉटल का ग्रोथ मीडियम सूक्ष्मजीवों को पोषण देता है। 

blood culture test in hindi
Procedure of blood culture test

ब्लड सैंपल लेने के बाद इस कल्चर बॉटल को लगभग 24 से 48 घंटो तक इनक्यूबेटर में 35 से 37°C तापमान पर इन्क्यूबेट किया जाता है इन्क्यूबेशन करने से ब्लड में उपस्थित सूक्ष्मजीव अपनी संख्या में वृद्धि कर लेते है।

इसके बाद इस कल्चर बॉटल से थोड़ा सा ब्लड सैंपल सावधानीपूर्वक बाहर निकालते है और आवश्यकता के अनुसार या मरीज की स्थिति के अनुसार इस ब्लड सैंपल को अलग अलग प्रकार के कल्चर मीडिया की प्लेट्स में डाला जाता है। 

इसके बाद इन कल्चर प्लेट्स को कवर करके वापस से इनक्यूबेटर में रख कर 37°C तापमान पर लगभग 24 से 48 घंटो तक इन्क्यूबेट किया जाता है। ऐसा करने से इन कल्चर प्लेट्स में बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि हो जाती है और इनकी कॉलोनी कल्चर प्लेट्स में दिखाई देने लगती है। 

अलग अलग सूक्ष्मजीवों की कॉलोनी अलग अलग प्रकार की होती है, जिनकी रंग आकार और अन्य लक्षणों के आधार पर पहचाना जाता है-जैसे बैक्टीरिया की कॉलोनी उनकी जाति या वर्ग के अनुसार अलग अलग बनती है। 

ब्लड कल्चर सेंसिटिविटी टेस्ट कैसे लगाते है ? (Blood culture sensitivity test procedure)

कल्चर प्लेट्स की कॉलोनीज से सूक्ष्मजीव की पहचान करने के बाद एंटीबायोटिक सेंस्टिविटी टेस्ट लगाया जाता है। इस टेस्ट के लिए बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव की कॉलोनी से थोड़ा सा भाग लेते है और उसका नार्मल सेलाइन के साथ एक घोल बना लिया जाता है। 

इस घोल को मूलर हिन्टोंन अगार प्लेट में एक कॉटन स्वैब की मदद से अच्छे से फैलाया जाता है। इसके बाद इस अगार प्लेट में एंटीबायोटिक की छोटी छोटी डिस्क को थोड़ी थोड़ी दूरी पर सावधानी से लगाया जाता है। 

blood culture test in hindi
Blood culture sensitivity test procedure

इसके बाद इस कल्चर प्लेट को 24 घंटे तक 37°C तापमान पर इन्क्यूवेट करते है इन्क्यूवेशन करने बाद इस कल्चर प्लेट में Inhibition zone बनते है। इन Inhibition zones के द्वारा ये पता लग जाता है की कौनसी एंटीबायोटिक ब्लड के उस सूक्ष्मजीव पर काम करेगी। 

जिस एंटीबायोटिक का Inhibition zone जितना ज्यादा बनता है वह एंटीबायोटिक उतनी ज्यादा सेंसिटिव होती है। ब्लड कल्चर सेंसिटिविटी टेस्ट ज्यादातर बैक्टीरिया के लिए ही किया जाता है। इसको एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (AST) भी कहा जाता है। 

ब्लड कल्चर टेस्ट के लिए सावधानियाँ (Precautions for Blood Culture Test)

ब्लड कल्चर टेस्ट ब्लड में सूक्ष्मजीवों या पैथोजन्स की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। सामान्यतः बुखार आने पर हम दवाई या एंटीबायोटिक खा लेते है। लेकिन अगर आप ब्लड कल्चर टेस्ट करना चाहते है तो टेस्ट करने से पहले किसी भी प्रकार की एंटीबायोटिक का सेवन न करे। 

एंटीबायोटिक खाने से ब्लड में उपस्थित पैथोजन्स या सूक्ष्मजीव मर जाते है और ब्लड कल्चर की रिपोर्ट सही नहीं आती है। ब्लड कल्चर टेस्ट के लिए एंटीबायोटिक के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की सावधानी की जरुरत नहीं होती है। 


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पोस्ट का सारांश (Conclusion of the post)

blood culture test in hindi पोस्ट में हमने ब्लड कल्चर टेस्ट के बारे में लगभग सारी जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। इस पोस्ट में हमने जाना की ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है कैसे किया जाता है इसके लिए क्या क्या सावधानियां रखना होता है और ब्लड कल्चर टेस्ट क्यों जरुरी होता है। 

इस पोस्ट के माध्यम से हमने ब्लड कल्चर को आसान भाषा में समझाया है। साथ ही हमने कुछ फॉक्स भी शामिल किये है उम्मीद करता हुँ ये आपको पसंद आएंगे। अगर आपको इस पोस्ट से सम्बंधित को प्रश्न या समस्या है तो कमेंट करके जरूर बताये समय देने के लिए धन्यवाद।

   

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs about blood culture test)

 

Question- ब्लड कल्चर की रिपोर्ट कितने दिन में आती है?

Answer- ब्लड कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट आने में से घंटे तक का समय लग सकता है इसकी रिपोर्ट टेस्ट के रिजल्ट पर निर्भर करती है। 

Question- क्या ब्लड कल्चर से टीबी का पता लगा सकते है?

Answer- ब्लड कल्चर बहुत ही अच्छा टेस्ट होता है जो लगभग सभी प्रकार के बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीवों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। टी.बी. की बीमारी भी बैक्टीरिया से होती है इसलिए इसका पता ब्लड कल्चर टेस्ट के द्वारा लगाया जा सकता है। 

Question- ब्लड कल्चर की रिपोर्ट कैसे पढ़े?

Answer- ब्लड कल्चर की रिपोर्ट को पड़ने के लिए आपको बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीवों की सामान्य जानकरी होना जरुरी होता है। ब्लड कल्चर के रिपोर्ट में अगर किसी प्रकार के सूक्ष्मजीव उपस्थिति होती है तो उसका नाम लिखा रहता है नहीं तो रिपोर्ट में नो ग्रोथ (No Growth) लिखा रहता है। 

Question- डॉक्टर ब्लड कल्चर क्यों करते हैं? 

Answer- ब्लड कल्चर टेस्ट के द्वारा शरीर में हुये किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन का पता आसानी से लगाया जा सकता है और इलाज आसान हो जाता है इसलिए डॉक्टर्स ब्लड कल्चर टेस्ट कराते है। 

Question- बुखार आने के कितने दिन बाद ब्लड कल्चर टेस्ट कराना चाहिए ?

Answer- हमे बुखार तब ही आता है जब शरीर में कोई प्रॉब्लम हो जाती है अर्थात इन्फेक्शन हो जाने के बाद ही बुखार आने लगता है। इसलिए बुखार आने के बाद दो से तीन दिन में ब्लड कल्चर टेस्ट करा लेना चाहिए। 


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Jeetendra Royal

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